શુક્રવાર, 26 જુલાઈ, 2013

ऐ खुदा

shiv-2 आ गये तेरी महफ़िल में, एक दर्शनार्थी बन कर, और गये तेरी महफ़िल से, जीवनसाथी बन कर, मालूम न था, मुहब्बत ऐसा भी रंग दिखायेगी, रह गये है खुद के ही घर में, शरणार्थी बन कर, ऐ खुदा गर तू है, तो बता दे ये दुनिया वालो को, वरना हो जायेंगे रुख़सत, एक प्रश्नार्थी बन कर, फिर न करेगा प्यार, न होगी प्यार की दास्तां, सब सीखते ही रह जायेंगे, एक विद्यार्थी बन कर, समझकर भुला देंगे तुझे एक पत्थर की मूरत, ऐ खुदा,कैसे सल्तनत चलायेगा सारथी बन कर? नीशीत जोशी

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