શનિવાર, 20 જુલાઈ, 2013
हम मिलकर
तेरा ही इंतज़ार करते है हम मिलकर,
तेरे ही प्यारको चाहते है हम मिलकर,
तेरी ही आरजू है और है जुस्तजू तेरी,
मुहब्बत इसीको कहते है हम मिलकर,
दिये वादों पे भरोषा रखा है हम सबने,
तुझे ही अपना मानते है हम मिलकर,
पनघट पर तो आओगे मटकी फोड़ने,
पँख पसारे आहे भरते है हम मिलकर,
मुकुट वास्ते, लेकर पँख, बदला नसीब,
नमन कर शीश धरते है हम मिलकर !
नीशीत जोशी 19.07.13
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