રવિવાર, 1 જૂન, 2014
कुछ कहे ना कहे
कुछ कहे ना कहे, वोह दिल में कदर रखते हैं,
सभी के जिगर में, कातिलाना असर रखते हैं,
नजरे गर हो जुकी, या हो उठी नजरे उनकी,
माशाल्लाह, वोह क़यामत की नजर रखते हैं,
यूँ तो मिटती नहीं, तिश्नगी समंदर की कभी,
नदीओ से मिलन की, चाहत मगर रखते हैं,
रहनुमा बनके आये जो, फरिस्ते दर पे उनके,
लौट गए,क्योंकि प्यार की वोह कदर रखते हैं,
आसाँ नहीं,कठिन राहो पे चलके, मंझिल पाना,
कांटो की राह पे, वोह फूलो का सफर रखते हैं !!!!
नीशीत जोशी 24.05.14
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