રવિવાર, 29 જૂન, 2014
प्यार अजब का फ़साना हैं
यह प्यार भी अजब का फ़साना हैं,
चलने को ये रास्ता पूरा अंजाना हैं,
अजब कि है फितरत मुहब्बत की,
मिले तो नसीब वरना जूठा ज़माना हैं,
मिलन के बाद भी अधूरी है मुराद,
रुखसत के बाद अश्क़ ही बहाना है,
खामोशी बयाँ करे दर्द-ए-इश्क़ का,
हर चोट की आवाज़ एक तराना है,
इल्म है अंजाम-ए-मुहब्बत,लेकिन,
बिन सोचे कांटो पे क़दम बढ़ाना है !!!!
नीशीत जोशी 28.06.14
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