શનિવાર, 21 જૂન, 2014
तुज जैसा कहां पाउंगा
तुज जैसा नज़राना कहां पाउंगा,
तुज जैसा मस्ताना कहां पाउंगा,
रह कर परदे में करते हो प्यार,
तुज जैसा दिवाना कहां पाउंगा,
करते हो कुरबान जान की बाते,
तुज जैसा परवाना कहां पाउंगा,
दिखाते हो राह भटके हुए को,
तुज जैसा दोस्ताना कहां पाउंगा,
माहीर हो रोते को हसाने के लीये,
तुज जैसा सहलाना कहां पाउंगा,
बसा लिया प्यार से प्यारे से घर में,
तुज जैसा आशियाना कहां पाउंगा,
मनाते हो रुठ जाने पे अपना कहके,
तुज जैसा ऐसा प्याराना कहां पाउंगा ।
नीशीत जोशी 18.06.14
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