રવિવાર, 1 માર્ચ, 2015

कब तक

तुम यहाँ ठहरोगे आखिर कब तक, दिल बहलाओगे आखिर कब तक, आसान नही तन्हाई मे पल काटना, महिनो गुजारोगे आखिर कब तक, मुन्तजिर है आँखे दिदार के लिए, इन्तजार करोगे आखिर कब तक, दिवानो की बस्ती मे घुम लो जरा, राहीअंजान बनोगे आखिर कब तक, लिख डालो अपने दर्द की दास्तान, किसीके नग्मे गाओगे आखिर कब तक! नीशीत जोशी

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