શુક્રવાર, 13 માર્ચ, 2015
HOLI
होली में वोह बचपन याद आया,
गलीयो का लडकपन याद आया,
उठा के दोस्त को गिराना कादा में,
साथ मेरा भी फिसलन याद आया,
लगाते होड पहले रंग लगाये कौन,
पकडन बाद का झडकन याद आया,
लगा तो देते थे जिसे चाहे हम रंग,
बजुर्गो का गुस्साया भडकन याद आया,
अब कहाँ से लाये वो रंग वो रंगीनीया,
हौसला है पर उम्र पचपन याद आया!
नीशीत जोशी 06.03.15
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