શનિવાર, 28 માર્ચ, 2015
तेरी फ़ुर्क़त के बाद
छूट गयी मेरी हरेक आस, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
सोगवार है मेरी हर साँस, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
लगे हर कूचा हमे कुंज तन्हाई में अक्सर,
लगे शहर-ऐ-खामोशा ख़ास,तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
बुझा उम्मीद के चराग जागता रहता हूँ मैं,
आने लगा है अँधेरा रास, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
कैसा खेल बना डाला इश्क़ को मुक़द्दर ने मेरे,
मात ही मात लगे पास, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
नहीं कोई लम्हा ऐसा,तेरी याद न आयी हो मुझे,
टूटने में साथ दे रही है यास, तेरी फ़ुर्क़त के बाद !!!!
नीशीत जोशी 17.03.15
(फुर्कत=जुदाई, सोगवार=उदास,कूचा=कोना, कुंज=एकांत जगह, शहर-ऐ-खामोशा=श्मशान,यास=निराशा)
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