ગુરુવાર, 30 એપ્રિલ, 2015
हम नेता है
हम नेता है जो आवाम पे हुकूमत करते है !!
गरीबो पे जुल्म अमीरो की खिदमत करते है !!
कोई जिये या मरे कुछ फर्क नहीं पड़ता हमें,
हम सियासी लोग है सिर्फ सियासत करते है !!
किसीके भी दर्द से हम नहीं रखते कोई वास्ता,
इंसान नहीं जो इंसानियत की हिफाझत करते है !!
बचाने खुर्सी को रखी है भागीदारी अमीरो की,
किसानो की जमीने बेच के हम तिजारत करते है !!
वोटो की राजनीति को बना रखा है धरम हमने,
जीतने के लिये तो अपनों से भी अदावत करते है !!
नीशीत जोशी 29.04.15
રવિવાર, 26 એપ્રિલ, 2015
હું આકાશ થઇ ગયો
પીને વિરહનું ઝેર રંગે થી હું આકાશ થઇ ગયો,
કોને કહું કે પ્રેમ-પરિક્ષામાં હું નાપાસ થઇ ગયો,
કરી હતી કોશિશ અતિશય તુજ પ્રેમ પામવાની,
ભીંજાયો વિરહ વરસાદે 'ને હું હતાશ થઇ ગયો,
વાવાઝોડાએ ઠારી નાખ્યા બધા ચીરાગો ઘરના,
મળ્યો સહારો આગિયાનો 'ને ઉજાસ થઇ ગયો,
સાંભળેલું પથ પ્રેમ નો હોય છે ઘણો કઠીન,પણ,
નીકળ્યો એજ પથે 'ને કાંટાળો પ્રવાસ થઇ ગયો,
તૂટ્યું છે હૃદય પણ હજી જીવંત છે આસ મુજમાં,
ભલેને આજે પુનમનો આ દિન અમાસ થઇ ગયો.
નીશીત જોશી 25.04.15
परिंदा हमने उड़ा दिया है
बनाके क़ासिद, परिंदा हमने उड़ा दिया है,
पता भी उसको, वो चाँद का अब बता दिया है,
ये इल्तेजा थी, के पास मेरे सदा वो आये,
मगर उसीने, ये फासला अब बढ़ा दिया है,
जो मुस्तैद जब थे सोने को हम, तो हिज्र के ग़म ने,
नहीं दिया मुझ को सोने, शब भर जगा दिया है,
जता के उल्फत, बसा है अब दूर जा के मुझ से,
के जैसे, जज़्बात अपने सारे दबा दिया है,
तसल्ली होती, जो मिलने आते कभी भी मुझ से,
मगर ये क्या, दूर जा के तुमने रुला दिया है !!!!
नीशीत जोशी 22.04.15
तुम भी पा सकती हो, बुलंदी अपनी,
कमजोर नहीं तू,
सहना तेरी कमजोरी है,
तुझ पे ढाएंगे सितम,
जबतक तू भोली है,
उठ खड़ी हो,
दिखा दे अपनी ताक़त सबको,
कह दे,
कर सकती हूँ कुछ भी,
मेरे में मर्दानी है,
मर्दो ने ही,
बंदी रखा था,
औरत को क़फ़स में,
अब उस बातो में,
न कुछ भी आनीजानी है,
पाल रखा था,
झूठा गुरूर मर्दो ने जहन में,
कहते थे,
औरतो की जगह,
सिर्फ चार दिवारी है,
हौसले से,
तुम भी पा सकती हो,
बुलंदी अपनी,
हर इल्म है तुझ में,
ताक़त यही आजमानी है !!!!
नीशीत जोशी 18.04.15
વેપાર કરવો જોઈએ, એ ફકીરોની સાથે
લોકો તો આપીને દિલ, ફરી પાછું ખેંચે છે,
રોતા મૂકી પોતે, પાછા મલકાતા બેસે છે,
ચાપલુશી કરી ચડાવે છે, પહેલા શિખરે,
'ને ચકડોળે ચડાવી, ઉપરથી નીચે ફેંકે છે,
બની બેઠા છે હવે રસિક, સાધુ સંતો પણ,
તેણે પણ, માનવતાને મૂકી દીધી નેવે છે,
હોવા છતાં બધું, કઈ નથી અમીરો કાજે,
એક ટુકડો રોટલો પણ, ગરીબોને લેખે છે,
વેપાર કરવો જોઈએ, એ ફકીરોની સાથે,
જે એક પૈસામાં, લાખોની દુઆઓ વેચે છે.
નીશીત જોશી 17.04.15
कोई शिकवा मलाल और है !!!!
दिखता चेहरा है हँसता हुआ,
दिल के रोने का हाल और है,
मेरे अंदर तलातुम बहुत,
पर ज़ुबाँ पे सवाल और है,
मेरा साया भी छोड़े है साथ,
रास्ता अब मुहाल और है,
इश्क़ के तेरे अंदाज़ से,
मुझ को लगता है चाल और है,
तुझ को अपना समझ कर ये दिल,
ग़म सुना कर निहाल और है,
तुझ को दिखता है खुश वह मगर,
रहता अंदर निढाल और है,
मुफलिसी से भी उस को नहीं,
कोई शिकवा मलाल और है !!!!
नीशीत जोशी 13.04.15
રવિવાર, 12 એપ્રિલ, 2015
ચલ,પાછું મનગમતું બધું કરીએ,
एक लाश
डूबो के कस्ती मज़धार वह चलते रहे,
ले के सहारा यादो का हम बचते रहे,
डूब रहे थे हम,इस्तिग़ासा हुयी बेकार,
साहिल पे बैठे लोग तमासा कहते रहे,
कुछ कम नहीं थे हम भी किसीसे यूँ तो,
हसते हुए खुद डूबके भंवर में फसते रहे,
बंध हुयी साँसे और आ गए ऊपर पानी के,
देखकर लोग हमे तैराकी समझते रहे,
हम जो एक लाश,बनकर किनारे पहुंचे,
किनारे पे क़ातिल इज़हारे इश्क़ करते रहे !!!!
नीशीत जोशी (इस्तिग़ासा=call for help) 08.04.15
उसने कभी चाहा नहीं
मुझे है उनसे चाहत, उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं,
देखते ही मैं बह गया जज्बातो में,
खो गया मैं उनकी सभी बाते में,
करता रहा मैं ईबादत, उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं,
देखता रहता था हरदम नीगाहो में,
ले लेता था तस्वीर हरदम बाहों में,
कैसे माँगू मैं इजाजत, उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं
क्या होगी मजबूरी कोई नही जानता,
दिमाग मान भी ले ये दिल नही मानता,
कैसे करूँ मैं शिकायत,उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं !
नीशीत जोशी 05.04.15
इन्सान तो भूल जाता है
मंच पर, किरदार रोज़ नये, आते जाते रहते हैं,
अपनी बनायी दुनिया को, खुदा सजाते रहते हैं !!
इन्सान तो भूल जाता है खुद की इन्सानियत,
खुदा के नाम की खोलके दूकान कमाते रहते है !!
अच्छा कुछ होने पे थपथपाते है पीठ खुद की,
जरा बुरा होने से इल्जाम खुदा का लगाते रहते है !!
खुदाने बनाया इन्सान को बहुत सोचने के बाद,
पर वही इन्सान अब खुद को ही खुदा बताते रहते है !!
भूल गया है आज प्यार मुहब्बत का हर सबब,
नफरतो की बुनियाद पर ही मकान बनाते रहते है !!
नीशीत जोशी 03.04.15
વારંવાર પીવું પડશે ઝેર
એકવાર નહિ હવે વારંવાર પીવું પડશે ઝેર ભોળા,
કલયુગ નાં માનવ છે શેર ને માથે સવાશેર ભોળા,
નીકળેલ અમૃત પીરસાવેલું મોહિનીનાં વરદ હસ્તકે,
અત્યારે તો મોહિની પર જ વર્તાશે કાળો કેર ભોળા,
ન આપશો સાક્ષાત્કાર કોઈને, સમજશે મદારી અહી,
થશે તક્ષકથી ઈર્ષા,પકડી તેને લેશે મારી વેર ભોળા,
શિખાએથી નીકળતી ગંગાને કરી નાખી છે પૂરી ગંદી,
રહેઠાણ હિમાલય પર તો કરે છે સપાટા સેર ભોળા,
ભૂલવું પડશે ભાંગ ધાતુરાને, ધરશે ડ્રગ્સ અને દારૂ,
વાઘામ્બર છોડાવી કહશે, બ્રાન્ડેડ વાઘા પે'ર ભોળા,
કંટાળશો ખુદનું બનાવેલ ખુદ જ જગ જોઇને હવે,
માનવું પડશે પહેલા કરતા અત્યારે છે ઘણો ફેર ભોળા..
નીશીત જોશી 01.04.15
जिद न करना
आये हो अब जाने की जिद न करना,
रूठ जाएंगे मनाने की जिद न करना,
मुन्तझीर रहकर मुरझा गए फूल भी,
जाने की जल्दी समझाने की जिद न करना,
कुछ साँसे ले लो फिर करेंगे गुफ्तगू,
जमाने से डरजाने की जिद न करना,
पिये है बहुत ग़म अब तो मुश्कुराना है,
आँखों का सैलाब दिखाने की जिद न करना,
शुक्रिया जो पूरा किया आने का वादा तूने,
दिल को अब बहकाने की जिद न करना !!!!
नीशीत जोशी 29.03.15
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