રવિવાર, 14 જૂન, 2015
दिल मेरा मचल गया
बेमिसाल हुस्न उनका, दिल को मेरे छल गया,
अशआर लिखना मेरा, और कुछ संभल गया !!
दिखा दिया कुदरत ने भी, अपना यूँह असर,
वोह मुश्कुराये, और मौसम यहाँ बदल गया !!
देखा था अक्स में, और चाहने लगे थे तब से,
देखा उसने, और इम्तिहाँ मेरा सफल गया !!
बच तो गया था यूँ तो, आग के ताब से मगर,
जुगनुओं के हुजूम से, ये दिल मेरा जल गया !!
आएगी तुर्बत में, फिर ऐसी हसीँ फ़िज़ा कहाँ,
सोच के तेरे हुस्न की बाते, दिल मेरा मचल गया !!
नीशीत जोशी 07.06.15
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