
धडकनकी आवाज सुनके क्या डर जाये?
जीन्दा रहनेके लिये हम क्या मर जाये?
अन्जान मुसाफिर है राह भी भटके हुए,
राही का ईन्ताजार कर क्या ठहर जाये?
मजा आता है सतानेमे उसे सबको यहां,
उसीकी लहेरो के साथ क्या लहर जाये?
मुश्कील पलमे खास बेहद याद आते हो,
खुशीयोका पल ऐसे ही क्या गुजर जाये?
प्यार करते है नीशीत दिदार होता नही,
उसके दिदारके वास्ते कहो क्या कर जाये?
नीशीत जोशी 15.07.11