
कैसी है तेरी माया, कहीं धुप कहीं छाया,
इस दूनिया में कोइ गया तो कोइ आया,
राहबर थक जाये हार जाये चलते चलते,
उन सभी के सहारे वास्ते वृक्ष को उगाया,
नफरत से इन्सान मर ना जाये कहीं यहां,
इसीलीये हर दिल में मोहब्बत को जगाया,
बुरे कर्मो पर जहन्नुम, अच्छे पर जन्नत,
हर सजा और तौफे के वास्ते करम बनाया,
कोइ भुल न जाये अपनी दौर-ए-जीन्दगी,
याद दिलाने तूने खुद को मंदीर में सजाया ।
नीशीत जोशी 14.06.12
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