રવિવાર, 17 જૂન, 2012

बडी आरजू थी मुलाकात की

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, तूम जब से यहां छोड गये हो प्रियतम, दिल को तूम से जोड गये हो प्रियतम, कहां दिन बीताया कहां रात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, किया है वादा फिर मीलने का, महकते फूलो सा खीलने का, मौसम ना दिखाओ बरसात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, ये नैया तेरी तू ही पार लगाना, हम नादानो को ना अब तरसाना, चले आओ, यह बात है जज्बात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, नाम किया है महोब्बत में तूने, दिया है हमे ज्ञान इबादत में तूने, फिर क्यों तूने ये बिछात की, बडी आरजू थी मुलाकात की......... नीशीत जोशी 11.06.12

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