રવિવાર, 10 જૂન, 2012

तेरे लिये

एक तू, क्या क्या किया तेरे लिये, पर एक तू, घर पे सब को छोड, पनघट पे आयी दौड, तेरे लिये, कालीन्दी को पुछा, कदम के पैड तले देखा, डालीयो में झांका, तेरे लिये, पर तू कहां छुपा, चले आओ, अब न तरसाओ, दिदार करवाओ, बंसी बजाओ, मोरे कान्हा तेरे लिये सब कुछ करु, तू कहे तो हर जनम तेरे वास्ते भरु । नीशीत जोशी 06.06.12

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