શનિવાર, 19 ઑક્ટોબર, 2013
हम आपका क्या लेते है?
ये तो फरमाइये हम आपका क्या लेते है?
आप बेवजह जो मुहँ हम से छुपा लेते है,
खोर-ओ-नोश भूल गये आपकी याद में,
हम तो आपके चहरे का जाएझा लेते है,
सादिक कहा था आपने मुहब्बत का हमें,
फिर यूँ मुझे तड़पा के क्यों मजा लेते है?
इश्क का इश्तिहार छपा है चहरे पे मेरे,
पर्दा करके तन्हाई का क्यों परचा लेते है?
प्यार पे अब भी नहीं है यकीन,फिर आप,
प्यार की वाकिफियत ले के क्यों हवा लेते है?
नीशीत जोशी 18.10.13
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