રવિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2013
तन्हा वोह भी हुआ होगा
तन्हा हम हुए, तन्हा वोह भी हुआ होगा,
बादल है यहाँ आज ,चाँद कहीं छुपा होगा,
तुर्बत में छाया हुआ है अंधेरो का आलम,
जल गया वो दिल, धुँआ वहां भी उठा होगा,
वस्ल की रात भी हिज्र की शब् बन गयी,
बह रहे थे आंसू,आँखोंने भी कुछ सुना होगा,
मुहब्बत की राह ने पामाल किया दोनोंको,
सहते रहे जख्म,उनको भी कुछ हुआ होगा,
तोहमत दे कर जहाँवालो ने कर दिया बदनाम,
बदनामी की हवा ने उनको भी छुआ होगा,
अँधेरा जो यहाँ है, वैसा वहां भी घिरा होगा,
जुगनू लौट गये यहाँ ,चराग वहां भी बुझा होगा !!!!
नीशीत जोशी 22.10.13
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