રવિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2013

जज्बात को हमारे आजमाते है वोह

80237 जज्बात को हमारे आजमाते है वोह, जब कभी मुलाक़ात पे आते है वोह, गुफ्तगू करने की इल्तजा थी उनकी, ख़ामोशी की अदा अब समजाते है वोह, न पीने की कसम डाल दी है हम पे, मयकदे का रास्ता अब दिखाते है वोह, जान दिया करते थे इक मुस्कान पे, तन्हाई की चादर अब ओढ़ाते है वोह, दीवानगी की हद पार की प्यार में , नफ़रत की आंधी अब चलाते है वोह, रकीब से सिख लिया फरेबी सबब, दोस्ती का सिला अब बताते है वोह !!!!! नीशीत जोशी 24.10.13

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