
ये दिल का दर्द अब कोई नया नहीं लगता,
प्यार की सुखन में कुछ सच्चा नहीं लगता,
तेरी दी हुयी तन्हाई को कबूल किया हमने,
अकेलेपन का तौफा अब सजा नहीं लगता,
तसव्वुर में भी खामोशी रास आने लगी है,
दिलकस तन्झीम सजाना दवा नहीं लगता,
जमाने से टकराने की हिम्मत खो बैठे तुम,
इल्झाम मुझ पे देना अब खता नहीं लगता,
झूठ बोलने की कोई आदत नहीं रखी हमने,
तुझे बेवफ़ा कहके बुलाना अच्छा नहीं लगता !!!!!
नीशीत जोशी
(सुखन=poetry,तन्झीम=arrangement) 01.10.13
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