રવિવાર, 29 જૂન, 2014
प्यार अजब का फ़साना हैं
यह प्यार भी अजब का फ़साना हैं,
चलने को ये रास्ता पूरा अंजाना हैं,
अजब कि है फितरत मुहब्बत की,
मिले तो नसीब वरना जूठा ज़माना हैं,
मिलन के बाद भी अधूरी है मुराद,
रुखसत के बाद अश्क़ ही बहाना है,
खामोशी बयाँ करे दर्द-ए-इश्क़ का,
हर चोट की आवाज़ एक तराना है,
इल्म है अंजाम-ए-मुहब्बत,लेकिन,
बिन सोचे कांटो पे क़दम बढ़ाना है !!!!
नीशीत जोशी 28.06.14
किसीके हाथ नश्तर तो किसीके हाथो में.....
किसीके हाथ नश्तर तो किसीके हाथो में पत्थर है,
तेरे इस पुरे शहर का माहोल पहले से भी बद्दतर है,
कहीं पे आग,कहीं धमाका,तो कहीं पे है बलात्कार,
सितमगर के सितम ढाने का मानो ये कोई दफ्तर है,
मजहब के नाम पर लड़ाते है मासूमो को सब यहां,
भाई भाई में कत्लेआम करनेवालो के ये अख्तर है,
न जाने कब,कहाँ,कौन सा हादसा जन्म ले ले यहाँ,
तेरे शहर में हर हादसा के बाद का हादसा कमतर है,
होते जुर्म की तरक़्क़ी किस अल्फाजो में तफ़्सीर करूँ,
सादे लिबासों में छिपे गद्दार दहशतगर्ग़ से भी बद्दतर है !!!!
नीशीत जोशी 22.06.14
શનિવાર, 21 જૂન, 2014
रखा क्या है वो अँधेरे में
रखा क्या है वो अँधेरे में,
सो जाना तुम अकेले में,
रोशन होगा वो आफताब,
गुम होयेगी रात सवेरे में,
भूल जाना ग़मगीन लम्हे,
खुश रहना तुम अकेले में,
प्यार में तो दिल टूटेगा ही,
न फसना तू इस जमले में,
देखोगे अदा ख़ुबाँ की ऐसी,
न आना तू उसके घेरे में !!!!
नीशीत जोशी 20.06.14
तुज जैसा कहां पाउंगा
तुज जैसा नज़राना कहां पाउंगा,
तुज जैसा मस्ताना कहां पाउंगा,
रह कर परदे में करते हो प्यार,
तुज जैसा दिवाना कहां पाउंगा,
करते हो कुरबान जान की बाते,
तुज जैसा परवाना कहां पाउंगा,
दिखाते हो राह भटके हुए को,
तुज जैसा दोस्ताना कहां पाउंगा,
माहीर हो रोते को हसाने के लीये,
तुज जैसा सहलाना कहां पाउंगा,
बसा लिया प्यार से प्यारे से घर में,
तुज जैसा आशियाना कहां पाउंगा,
मनाते हो रुठ जाने पे अपना कहके,
तुज जैसा ऐसा प्याराना कहां पाउंगा ।
नीशीत जोशी 18.06.14
કાશ, દિલના અવાજની એટલી થાય અસર
કાશ, દિલના અવાજની એટલી થાય અસર,
જેને કરીએ યાદ અમે, તેને થઇ જાય ખબર,
હોય ભલે રાત ગોજારી,તણાઈએ છો આંસુએ,
બંધ કરીએ આંખીયું અને બસ તે આવે નજર,
ઝુલાવે ચાંદની રાત વિરહના પારણે અમને,
જીવવું પણ થાય આકરું અમારું તેના વગર,
આવી જાય થોડા આંસુ તેની પણ આંખો માં,
જોઈ કાંટે ચાલતા અમ કદમ રુધિરે સભર,
જોઈ આ ટુકડા હૃદયના કાંપે તેનું પણ મન,
વિસરી આગલું બધું,મોકલે આવવાની ખબર.
નીશીત જોશી 17.06.14
રવિવાર, 15 જૂન, 2014
पूरी मेरी यह कहानी कर दे
ऐय रब, पूरी मेरी यह कहानी कर दे,
आज के दौर की दुनिया पुरानी कर दे,
उन पर लगी तोहमत को भुलाकर अब,
इस दिल को पहले जैसा रूमानी कर दे,
कर सकते हो तुम हर मुराद पूरी सबकी,
न हो सके तो इश्क़ को जानकानी कर दे,
फिरसे कर देना उसका प्यार पहले जैसा,
मेरे उस मुहिब्ब को मेरी दीवानी कर दे,
रखना खुश मेरी वो बेनज़ीर मुहब्बत को,
उसे मेरे बेपायाँ प्यार की निशानी कर दे !!!!
नीशीत जोशी (जानकानी= process of dying) 14.06.14
જીવું છું હું,આપેલ તુજ ઝખ્મ જીરવી
મુજ યાદ ને, દબાવી રાખી જોજે,
વિરહનો સ્વાદ પછી, ચાખી જોજે,
શું કરશે, તુજને ચાહનારી જમાત,
મુજને અંધારે, ક્યારેક નાખી જોજે,
વિલય થઇ જશે, તુજ નું સર્વસ્વ,
કંઈ નહીં રહે તુજ કાજ બાકી જોજે,
જીવું છું હું,આપેલ તુજ ઝખ્મ જીરવી,
એક તું પણ નાનો ઘાવ, સાખી જોજે,
ખુશ છે હૃદય, લઇ વ્યથાની સૌગાત,
હજી હોય બાકી તે પણ આપી જોજે.
નીશીત જોશી 12.06.14
आँखो में दरिया, दिल में तूफान रखते हैं
आँखो में दरिया, दिल में तूफान रखते हैं,
चहरे पर हसीं, लब को बेजूबान रखते हैं,
भरने नहीं देते घाव को लगाकर मलहम,
उनकी बेवफाई का दिल में उफान रखते हैं,
बदलते रहते हैं रातभर करवटे बिस्तर में,
सपनो में क़त्ल करने आती खूबान रखते हैं,
रौंद दिया है गला जिसने हर ख्वाइश का,
उसके लिए भी दिल में हम रूमान रखते हैं,
मानता नहीं दिल उनका जिक्र छेड़े बिना,
महफ़िल में उनके नाम का उन्वान रखते हैं !!!!
नीशीत जोशी (खूबान= beautiful women, रूमान= love ) 07.06.14
શનિવાર, 7 જૂન, 2014
આવી જો તેની યાદ આવતી જ રહી
આવી જો તેની યાદ આવતી જ રહી,
પૂનમની રાત પણ જગાડતી જ રહી,
ગણગણાવતા'તા તેના નામના ગીતો,
અને કલમ ગઝલો બનાવતી જ રહી,
જુદી હતી વાર્તા ત્યાં એ આંસુઓ ની,
આંખો બસ દરિયો વહાવતી જ રહી,
હદ એ ઇન્તઝારની પણ કરી છે પાર,
સુમસાન એ રાહ જીવ કાઢતી જ રહી,
છુપાયેલા હતા આભે ચાંદતારા જ્યારે,
આવી એ યાદ ઉજાસ વધારતી જ રહી.
નીશીત જોશી 06.06.14
न किया कर
हरदम, तू ऐसी हरकत न किया कर,
पूरी न हो, ऐसी हसरत न किया कर,
हुए है जो बादल, तो बारिश भी होगी,
अर्श-ओ-फर्श की, शफ़क़त न किया कर,
मुहब्बत में, जुदाई का ग़म भी आएगा,
बहाके आंसू, दिल हैबत न किया कर,
क़यामत तलक, प्यार करेगा आशिक,
दिल जलने की, अजमत न किया कर,
जिगर की राख से, बन जायेगी ग़ज़ल,
क़ुव्वते कलाम की, नखवत न किया कर !!!!
नीशीत जोशी (शफ़क़त= favour, kindness,हैबत= panic,अजमत= greatness,नखवत= pride) 01.06.14
રવિવાર, 1 જૂન, 2014
અઢી અક્ષરની જ તાકાતને જણાવી રહ્યો છું હું
વ્યાકુળ છે દુનિયા,વ્યાકુળતા ફેલાવી રહ્યો છુ હું,
તોફાનો સામે કરવા સામનો વિચારી રહ્યો છુ હું,
ન હસો આમ મુજપર,દાદ આપો મુજ હિમ્મતને,
રાય છુ, પણ પહાડ સંગ બાથ ભીડાવી રહ્યો છુ હું.
ચાલવું નથી હોતું સરળ અંધારા જંગલમાં એકલું,
જુગનુઓના અજવાળે પગલા વધારી રહ્યો છું હું,
કરમાઈ જાય છે પાનખર માં બધા ફૂલો બાગમાં,
પ્રેમનાં વાદળો વરસાવી ફૂલો ખિલાવી રહ્યો છું હું,
પારકાને પણ પોતાના કરી શકાય છે આ જગમાં,
એ અઢી અક્ષરની જ તાકાતને જણાવી રહ્યો છું હું.
નીશીત જોશી 30.05.14
यह कलम क्या क्या लिख लेती है
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी तेरा कभी मेरा लिख लेती है,
कभी जख्म, तो कभी मल्हम,
कभी ईकरार, तो कभी ईन्कार,
नफरत को प्यारा 'हाँ' लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी रुठना, तो कभी मनाना,
कभी सोना, तो कभी जागना,
वो रात को भी सबा लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी पथ्थर, तो कभी फूल,
कभी बसंत, तो कभी पतजड़,
रुख हर मौसम का लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी विरह, तो कभी मिलन,
कभी दोस्त, तो कभी दुश्मन,
हर रस्म का माजरा लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी शायरी, तो कभी नज्म,
कभी काव्य, तो कभी गजल,
वो हिन्दी कभी उर्दू भाषा लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है ।
नीशीत जोशी 27.05.14
कुछ कहे ना कहे
कुछ कहे ना कहे, वोह दिल में कदर रखते हैं,
सभी के जिगर में, कातिलाना असर रखते हैं,
नजरे गर हो जुकी, या हो उठी नजरे उनकी,
माशाल्लाह, वोह क़यामत की नजर रखते हैं,
यूँ तो मिटती नहीं, तिश्नगी समंदर की कभी,
नदीओ से मिलन की, चाहत मगर रखते हैं,
रहनुमा बनके आये जो, फरिस्ते दर पे उनके,
लौट गए,क्योंकि प्यार की वोह कदर रखते हैं,
आसाँ नहीं,कठिन राहो पे चलके, मंझिल पाना,
कांटो की राह पे, वोह फूलो का सफर रखते हैं !!!!
नीशीत जोशी 24.05.14
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