
શનિવાર, 28 માર્ચ, 2015
હવે આખો દરિયો પી લઈશું

जज्बा मुहब्बत का, रहता है वो परवाने में

क्या नारी होना ही जुर्म है मेरा ?

THANKS FOR BIRTHDAY WISHES

ભવ શાને બગાડવો કરી ખોટા કાજો થી

तेरी फ़ुर्क़त के बाद

શુક્રવાર, 13 માર્ચ, 2015
બંધ પિજરામાં જ

और कोई कहाँ दिखते है

HOLI

खुदा का भी शुक्रिया अदा करो

વહેમ
રવિવાર, 1 માર્ચ, 2015
जब भी वह आईना देखती होगी

महफिल में कदम तेरे रोशनी बढायेंगे जरूर

कब तक
तुम यहाँ ठहरोगे आखिर कब तक,
दिल बहलाओगे आखिर कब तक,
आसान नही तन्हाई मे पल काटना,
महिनो गुजारोगे आखिर कब तक,
मुन्तजिर है आँखे दिदार के लिए,
इन्तजार करोगे आखिर कब तक,
दिवानो की बस्ती मे घुम लो जरा,
राहीअंजान बनोगे आखिर कब तक,
लिख डालो अपने दर्द की दास्तान,
किसीके नग्मे गाओगे आखिर कब तक!
नीशीत जोशी
हो चाहे दिल बच्चा
मिलते है जो भी लोग मुझे अंकल बुलातेे है,
छोटे छोटे बच्चे भी अब मुझे हसके डराते है,
यूँ तो अभी नहीं थे रिटार्यडमेन्ट की उम्र में,
मगर पडोशी मुझ को मेरी ही उम्र गिनाते है,
मेरे जिस चेहरे को देखकर करतेे थे नाज जो,
वही लोग मुझे सामने रख के आईना दिखाते है,
डाल देते थे जिस पे भी नजर,हो जाते थे फिदा,
वही सब देखने पर मुझे बाकायदा धुर्राते है,
ना जाने कैसी विडम्बना से पडता है गुजरना,
हो चाहे दिल बच्चा पर अंकल ही कहलाते है।
नीशीत जोशी
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