શનિવાર, 28 માર્ચ, 2015
હવે આખો દરિયો પી લઈશું
ઝેર મળે યા અમૃત હવે આખો દરિયો પી લઈશું,
ક્ષોભ શાનો જીવન થી હસતા ગાતા જીવી લઈશું,
રડાવે કે આપે ગમ હવે સ્વીકાર્ય રાખીશું બધું જ,
હસતા રહીશું સહેતા રહેશું આ મોઢું સીવી લઈશું,
નહિ ચડાવીએ સુળીએ મળેલ આ જીવતર ને હવે,
મળશે શીખવાને જીવનના જે પાઠ શીખી લઈશું,
છોને રહ્યા અટપટા રસ્તાઓ ભુલભુલામણી ભર્યા,
એક રસ્તે જો પડીએ ભૂલા રાહ પાછી બીજી લઈશું,
મોત જ છે આખરી મંઝિલ તો તેનેથી ડરવું શાને,
જીવન છે ત્યાં સુધી આ દરિયાને પૂરો પીંખી લઈશું.
નીશીત જોશી 27.03.15
जज्बा मुहब्बत का, रहता है वो परवाने में
भूल गया वह, की आ गया अनजाने में,
छोड़ के बुतखाना, आ गया मयखाने में,
तोड़ के, सब ज़ंजीरें जमाने की मुसल्लम,entire
लगा है, दिल टूटने का सबब समझाने में,
किया है इश्क़, तो सहनी होगी तन्हाई भी,
उनकी यादो के साथ डुबो नहीं पैमाने में,
फ़ना होना इश्क़ में, किसी चराग से पूछो,
जज्बा मुहब्बत का, रहता है वो परवाने में,
पी कर शराब , याद करोगे मुहिब्ब को बहुत,
हंगामे से, न हुआ न होगा नाम अफ़साने में !!!!
नीशीत जोशी 26.03.15
क्या नारी होना ही जुर्म है मेरा ?
कोई नहीं है यहाँ, जिसे अपना कह पाये,
दोस्तों को बुलाया, मगर पास रक़ीब आये !!!!
कब तलक होगी, मुझ पे ऐसी हैवानियत ?
कोई तो होगा, जो हैवानो पे सितम ढाये !!!!
मेरी बे-इज्जती पे भी, करते है सियासत,
कोई तो होगा, जिसे कुछ तो शरम आये !!!!
माँ की कोख से ही, सहमी सहमी जिन्दा हूँ,
कोई तो अब आये, जो मुझे हिम्मत दिलाये !!!!
क्या नारी होना ही जुर्म है मेरा ? बता ऐ खुदा !
गर नहीं, तो फिर क्यों ऐसे हमे दिन दिखलाये ?
नीशीत जोशी
THANKS FOR BIRTHDAY WISHES
मोहब्बतें देकर दिन को त्यौहार बना दिया,
पतझड़ के मौसम को आपने बहार बना दिया,
वीराने में वीरान हो गए थे हम, यारों !
आपके प्यार ने मुझे गुले गुलझार बना दिया,
दुआओ का असर आ गया है आज मुझे,
नबी के वास्ते अपने दीदारे यार बना दिया,
ताउम्र नवाज़िशो का रहेगा अहसान मुझ पे,
मौहब्बत का आपने मुझे ताबेदार बना दिया,
खिला दिए आपने मेरे चमन में इस क़दर फूल,
हरेक लम्हा मेरा आपने खुशबूदार बना दिया !!
नीशीत जोशी 21.03.15
ભવ શાને બગાડવો કરી ખોટા કાજો થી
દરિયો બની આંસુ વહે છે આંખો થી,
તણખા ઝરે છે જ્યારે કોઈ વાતો થી,
જેને નથી રહેતો અંકુશ મોઢા પર તેને,
હારવું જ પડે છે મૌન રૂપી સંવાદો થી,
વણ માગ્યે મળી જતું હોય બધું જ્યારે,
ના કરો હેરાન માંગી નજીવી માંગો થી,
વલખો છો જેને માટે આટલા મળવાને,
પાછળ થી જીવશો ફક્ત તેની યાદો થી,
થાય છે એજ જે ધારેલું હોય છે તેમણે,
ભવ શાને બગાડવો કરી ખોટા કાજો થી.
નીશીત જોશી 18.03.15
तेरी फ़ुर्क़त के बाद
छूट गयी मेरी हरेक आस, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
सोगवार है मेरी हर साँस, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
लगे हर कूचा हमे कुंज तन्हाई में अक्सर,
लगे शहर-ऐ-खामोशा ख़ास,तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
बुझा उम्मीद के चराग जागता रहता हूँ मैं,
आने लगा है अँधेरा रास, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
कैसा खेल बना डाला इश्क़ को मुक़द्दर ने मेरे,
मात ही मात लगे पास, तेरी फ़ुर्क़त के बाद,
नहीं कोई लम्हा ऐसा,तेरी याद न आयी हो मुझे,
टूटने में साथ दे रही है यास, तेरी फ़ुर्क़त के बाद !!!!
नीशीत जोशी 17.03.15
(फुर्कत=जुदाई, सोगवार=उदास,कूचा=कोना, कुंज=एकांत जगह, शहर-ऐ-खामोशा=श्मशान,यास=निराशा)
શુક્રવાર, 13 માર્ચ, 2015
બંધ પિજરામાં જ
નથી દાદ આપની માંગવાની મારે,
ભલે હોય એ કલ્પના ઉડવાની મારે,
પાંખો ફેલાવતો તો થયો રહી પિંજરે,
ઈચ્છા છે અભિનંદન આપવાની મારે,
જો આપેલ હોત આપે દાદ મને તે’દી,
ન ખુલી હોત પાંખ આજે ઉડવાની મારે,
બંધ પિજરામાં જ થઇ જાત જીવન પૂરું,
રહી જાત ઈચ્છા આપને પામવાની મારે,
ન આવી હોત કલમ જો કદી મુજ હાથે,
પ્રેમ કાજ જરૂરત રે'ત હૈયું ચીરવાની મારે.
નીશીત જોશ 11.03.15
और कोई कहाँ दिखते है
हरबार दरिया में मोती कहाँ मिलते हैं,
फूल जो मुरझाए फिर कहाँ खिलते हैं,
वस्ल में खुश, रोते है हिज्र में बहोत,
खुश्क आँखों से फिर आंसू कहाँ गिरते है,
छुपा रखे चहेरा लाख परदे में लेकिन,
आईने में असली चहरे कहाँ छिपते हैं,
टूट भी जाये गर इश्क़ में कभी दिल,
टूटे टुकड़ो को दीवाने कहाँ गिनते हैं,
करते है इंतझार दीदार का हर वक़्त,
परछाई में भी और कोई कहाँ दिखते है !!!!
नीशीत जोशी 09.03.15
HOLI
होली में वोह बचपन याद आया,
गलीयो का लडकपन याद आया,
उठा के दोस्त को गिराना कादा में,
साथ मेरा भी फिसलन याद आया,
लगाते होड पहले रंग लगाये कौन,
पकडन बाद का झडकन याद आया,
लगा तो देते थे जिसे चाहे हम रंग,
बजुर्गो का गुस्साया भडकन याद आया,
अब कहाँ से लाये वो रंग वो रंगीनीया,
हौसला है पर उम्र पचपन याद आया!
नीशीत जोशी 06.03.15
खुदा का भी शुक्रिया अदा करो
देख दुसरो की तरक़्क़ी न जला करो,
जो हो खुद के पास कुछ दिया करो,
कम नहीं होता कुछ देने से किसीको,
हो सके उतना सभी का भला करो,
बुरा नहीं होता किसी को मदद करना,
किसे कितनी की मदद न गिना करो,
सो पाये चैनो अमन से सब ये शहर में,
सभी के वास्ते खुदा से यही दुआ करो,
भेजा है बनाके इंसान इस कायनात में
एकबार खुदा का भी शुक्रिया अदा करो !!!!
नीशीत जोशी 03.03.15
વહેમ
રવિવાર, 1 માર્ચ, 2015
जब भी वह आईना देखती होगी
जब भी वह आईना देखती होगी जमाल मेरा याद आता होगा,
झुका के पलके उसकी शरमाते हुए चहेरा मुस्कुराता होगा,
तिजारत करनेवाले को भटका देगी उनके करम से,
भुलकर हर हिसाब उनकी ही कोई गझल गुनगुनाता होगा,
हो जाती होगी वह बेखबर आसमान में चाँदनी देखकर,
चाँद भी बादलों के पीछे तस्वीर उसीकी छुपाता होगा,
महफिल में किसी परवाने को फना होता जब देखती होगी,
वह चिराग जरुर उनका जिगर भी बेपाहाँ जलाता होगा,
तडपते हुए रात बिस्तर में वह जब करवटें बदलती होगी,
मेरी यादों का सबब सारी रात उसे जगाता होगा !!!!
नीशीत जोशी
महफिल में कदम तेरे रोशनी बढायेंगे जरूर
मेरी आँखो से अश्क बहार आयेंगे जरूर,
मगर यही रास्ते तुझसे मिलायेंगे जरूर,
रात हो अंधेरी चाहे सब चिराग बुझे हुए,
पर यादों के साये साथ निभायेंगे जरूर,
मुरझा जाते है शाख से टूटे हुए सभी फूल,
मगर मुरझा कर भी खुश्बू बतायेंगे जरूर,
शरमा जायेगा आईना भी देखकर नूर तेरा,
अदाए तेरी मगर तेरा हुनर दिखायेंगे जरूर,
सुनी पडी महफिल दिलकश होगी एकाएक,
महफिल में कदम तेरे रोशनी बढायेंगे जरूर !!!!
नीशीत जोशी
कब तक
तुम यहाँ ठहरोगे आखिर कब तक,
दिल बहलाओगे आखिर कब तक,
आसान नही तन्हाई मे पल काटना,
महिनो गुजारोगे आखिर कब तक,
मुन्तजिर है आँखे दिदार के लिए,
इन्तजार करोगे आखिर कब तक,
दिवानो की बस्ती मे घुम लो जरा,
राहीअंजान बनोगे आखिर कब तक,
लिख डालो अपने दर्द की दास्तान,
किसीके नग्मे गाओगे आखिर कब तक!
नीशीत जोशी
हो चाहे दिल बच्चा
मिलते है जो भी लोग मुझे अंकल बुलातेे है,
छोटे छोटे बच्चे भी अब मुझे हसके डराते है,
यूँ तो अभी नहीं थे रिटार्यडमेन्ट की उम्र में,
मगर पडोशी मुझ को मेरी ही उम्र गिनाते है,
मेरे जिस चेहरे को देखकर करतेे थे नाज जो,
वही लोग मुझे सामने रख के आईना दिखाते है,
डाल देते थे जिस पे भी नजर,हो जाते थे फिदा,
वही सब देखने पर मुझे बाकायदा धुर्राते है,
ना जाने कैसी विडम्बना से पडता है गुजरना,
हो चाहे दिल बच्चा पर अंकल ही कहलाते है।
नीशीत जोशी
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