करते रहे याद मगर तुम न आये,
नजरे हुई लाचार पर तुम न आये,
कहा था नीभायेंगे साथ कयामत तक,
रात भी हुई विरान पर तुम न आये,
बदल गये मौसम पतजड हुआ वसंत,
मुरजा रहे है फुल पर तुम न आये,
दिन बचे है चार जीवनके अब तो सुन,
आश हुई नीराश पर तुम न आये......
आओना......तडपाओना......
नीशीत जोशी
મંગળવાર, 5 ઑક્ટોબર, 2010
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો