મંગળવાર, 5 ઑક્ટોબર, 2010

जाए तो कहां?

कहते है अब नही आते, न आने से हाल बुरा होता है,
भले हो मशहुर गलीया,ये दिलका कुचा सुना पडता है,

जैसे भी दुरिया रखनी है तुजे, रखो मेरे हमनवाज,
मेरी हर सांसमे गुंजता, तेरा ही नाम सुनायी पडता है,

महसुस हमे भी है, ईन्तजार मे हर रात का रोना,
करवटे बदल बदल कर, बिस्तरमे ही तडपना पडता है,

उठ जाते है रात मे हम, सताता है अंधेरो का डर,
चीराग जलाने पर भी रोशनीमे अंधेरा दिखायी पडता है,

और तुम कहते हो हम नही आयेंगे जाओ, लेकिन,
जाए तो कहां? हर राहमे तेरा ही शय दिखायी पडता है ।

नीशीत जोशी

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