બુધવાર, 20 ઑક્ટોબર, 2010

जी ना पाउंगा मैं

ना सताउ पकड के दामन तो जी ना पाउंगा मै,
ना पकडु बैया ना छेडु राधे तो जी ना पाउंगा मै,

पनधट पे आ के तु भी तो फुसलाती है मुजे,
तेरे कहने पे बंशी ना बजाउ तो जी ना पाउंगा मै,

सास-ससुर के ताने सुन आ जाती है गोपीया,
अब उन्हे भी नाच ना नचाउं तो जी ना पाउंगा मै,

मन में बसाया तुने दिल मे उतार दिया मुजे,
तुज संग साथ तट पे ना नाचु तो जी ना पाउंगा मैं.........

नीशीत जोशी

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