બુધવાર, 11 જાન્યુઆરી, 2012
ऐसा न लगे
क्या तुम भी आज हमसे हट रहे हो,
ऐसा ना करो के लगे तुम कट रहे हो,
नीद जो आये तो बहेतर है सो जाओ,
ऐसा न सोना के लगे तुम बट रहे हो,
फुल आये पसंद उसे चुम लो होठो से,
ऐसा न लगे फुलो को तुम सट रहे हो,
कोइ करे बात तो मत ईतराना इतना,
ऐसा न महेसूस हो के तुम फट रहे हो,
प्यारका इकरार कर ले खुद लब्जो मे,
ऐसा न लगे बोलना के तुम नट रहे हो ।
नीशीत जोशी
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