
आज वोह सहमी सहमी क्यों है?
खुशनुमा हवा आज थमी क्यों है?
आने कि इल्तजा थी आ जायेंगे,
महेफिल में उनकी कमी क्यों है?
चोट खाने कि आदत हो चूकि है,
फिर आज आंखोमें नमी क्यों है?
न नीभानेवाला वादा भी कर गये,
फिर मुज पर नजर जमी क्यों है?
महोब्बतमें डुब गये हो पूरी तरहा,
फिर वो अन्जाम कि गमी क्यों है?
नीशीत जोशी
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