
किसी ने हमे चहेकाना सिखाया,
किसी ने हमे मुश्कराना सिखाया,
ऐसे शायर न थे कभी भी हम तो,
प्यारने हमे वो शायराना सिखाया,
दिदारके लिये रखी थी तस्वीर वो,
उन्की शयने हमे बहेकाना सिखाया,
बागबान बनने पहोंचे जो बाग हम,
वहां फूलोने हमे महेकाना सिखाया,
तीनका बून बूनके घर को, परिन्दोने,
कैसे बनाते है वो आशीयाना सिखाया ।
नीशीत जोशी
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