સોમવાર, 6 ફેબ્રુઆરી, 2012

बस तु, तु ओर तु


वो तेरा नूरानी चहेरा,
उन पे केशूओ का पहेरा,
नयनो में सजा काजल,
आसमां भरा हो जैसे घने बादल,
मांग पे लगा सीदूर,
जैसे छीपा हो कोई दुर्र,(pearl)
उफ्फ! तेरी हर अदा,
याद आ जाये सदा,
खामोश आसमान, मायूस परिन्दे,
विरान वादियां,
सर्द आलम,
और तुम्हारी यादो के सिलसिले,
उफ्फ!!!!!!
उल्फत बना जीना,
जैसे हो ताज बीना मीना,
तु नही तो कुछ भी नही,
बस तु, तु ओर तु,
जहा भी नजर करू, बस तु !

नीशीत जोशी

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