શનિવાર, 11 ફેબ્રુઆરી, 2012

यह कलम क्या क्या लिख लेती है


यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी तुम्हे कभी मुजे लिख लेती है,

कभी जख्म, तो कभी मल्हम,
कभी ईकरार, तो कभी ईन्कार,
वो नफरत भी प्यारसे लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी रुठना, तो कभी मनाना,
कभी सोना, तो कभी जागना,
वो रातो को भी दिन लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी पथ्थर, तो कभी फूल,
कभी बसंत, तो कभी पतजड,
वो मौसमका भी रुख लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी विरह, तो कभी मिलन,
कभी दोस्त, तो कभी दुश्मन,
वो हर रसम बखुबीसे लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी शायरी, तो कभी कविता,
कभी नज्म, तो कभी गजल,
कभी हिन्दी कभी उर्दू लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है ।

नीशीत जोशी 10.02.12

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