રવિવાર, 26 ફેબ્રુઆરી, 2012

जीन्दगी बसर कर गये


जीन्दगी बसर कर गये मगर जीये नही,
हालत पे कभी अपनी भरोषा किये नही,

गुजर जाता रहा कारवा युहीं बे-मंजील,
राहोको कभी मंजीलका रास्ता दिये नही,

वोह जहर अगर देते तो पी भी लेते हम,
दुसरो के हाथो दिया अमृत भी पीये नही,

प्यार कि दास्तां सुनना अच्छा लगता था,
इसलिये प्यारके अल्फाज कभी सीये नही,

बदनाम न हो जाये कहीं जमाने के सामने,
अपनो के बीच कभी उनका नाम लिये नही।

नीशीत जोशी

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો