રવિવાર, 24 જૂન, 2012

कैसा मौजी शक्स है वोह

वो कहता है आता हूं पर आता भी नही, न आने का कोइ बहाना बताता भी नही, इन्तजार में ऐक ऐक पल लगे हे बरसो, और ख्वाब से खुद रिस्ता हटाता भी नही, कभी कभी तो वो आलम भी डरा देता है, रुठ गये है हम और वोह मनाता भी नही, "हमे तो मोहब्बत हो गयी है तुम्ही से" यह बात कह करके कभी फसाता भी नही, न जाने कैसा मौजी शक्स है वोह 'नीशीत' वोह प्यार भी करता है और जताता भी नही । नीशीत जोशी 23.06.12

मेरी गजल

गुनगुना के मेरी गजल सताया न करो, रुख से यूंह अपना परदा हटाया न करो, रकीब जान लेगा वो प्यार का हर शबब, आंखो से अपनी यूंह आंसू बहाया न करो, छूरीया चले या चल जाये दिल पर खंजर, कमजोर बनके यूंह हौसला जताया न करो, मुहिब्ब नही दे पायेगा सिवाय इल्जाम के, महेफिल में दिल का चिराग जलाया न करो, हर हसीन चहरे के पीछे छीपा होता है राज, राज को राज रखके सरेआम बताया न करो, सारे जहां की नजर से तो बच जाओगे मगर, आयने में देख कर खुद नजर लगाया न करो । नीशीत जोशी 21.06.12

પ્રભુ સંગ નો વાર્તાલાપ

ઃઃઃઃ પ્રભુ સંગ નો વાર્તાલાપ ઃઃઃઃ કહ્યુ પ્રભુને બગડે છે શું મુજ બગડેલુ સુધારવામાં, તુજને મઝા શું આવે છે મુજને રસ્તે રઝડાવવામાં, તે બોલ્યા શાને પડ્યો રહે છે રોજ પાછળ મુજની, મેં કહ્યુ તુજ જેવા બીજા કોઇ તો દેખાડ દુનીયામાં, તે બોલ્યા એમ તો છે લાખો કોનીકોની પરવાહ કરુ, મેં કહ્યુ સાફ જ કહોને નથી રહ્યુ હવે કંઇ ખજાનામાં, તે બોલ્યા હોશમાં બોલ !!નહીતર હું રીસાઇ જઇશ, મેં કહ્યુ તમે તો છો માહીર તરત જ રીસાઇ જવામાં, નથી કોઇ સાધના કરી ન કંઇ તે બોલ્યા તો મેં કહ્યુ, સાંભળ્યુ છે રીઝાય જાવ છો ફક્ત આંસુ વહાવવામાં, તે બોલ્યા મુજ મરજી છે, કરીશ તે જે પણ હશે ઇચ્છા, મેં કહ્યુ તો કરી દો પરીવર્તન કરૂણાનીધી કહેડાવવામાં, તે બોલ્યા જો ન દયા હોત તો ક્યાંથી હોત આ જગમાં? મેં કહ્યુ તો પછી તકલીફ શું છે તુજને દર્શન આપવામાં? નીશીત જોશી 20.06.12
जिक्र जो नीकला जलक याद आ गयी, पांव के घुंघरु की छनक याद आ गयी, ढुंढते रहते थे हर गली, हर चौराहे पर, तेरे मोहल्ले की वो सडक याद आ गयी, एक रोज गुमशुदा बना दीया था भूलाके, अहेसासो से सीमटी भनक याद आ गयी, बुलाने पे चले आना, ना कहे भाग जाना, राह-ए-मोहब्बत की सनक याद आ गयी, ये हवा आज नीकली है छू के जीस्म को, वो गेसूओ के गजरे की महक याद आ गयी । नीशीत जोशी 18.06.12

વિધીના વિધાન

વિધીના વિધાન તો લખાયેલા છે, દર્દ જેના છે તેના ચિતરાયેલા છે, માગવાથી નથી મળતુ તેને ત્યાં, કર્મો પ્રમાણે ફળો ગોઠવાયેલા છે, મન તો આપ્યુ તેમને યાદ કરવા, પથ્થરોને ક્યાં મન અપાયેલા છે, માગી ને નાના શાને થવુ જોઇએ, વણમાગ્યે ઘણુ સ્વિકારાયેલા છે, શરત આધારે ઇચ્છીએ સ્વાર્થમાં, તજીને જાણીએ સર્વ પમાયેલા છે. નીશીત જોશી 17.06.12

રવિવાર, 17 જૂન, 2012

जवाब तो दे

कु्छ मेरी बातो का जवाब तो दे, दिये वो झख्मो का हिसाब तो दे, चूप रह कर पीते रहे हम अश्क, मेरी आंखो को कोइ खिताब तो दे, फूल बनने को तैयार है वो कली, सींचने को पानी नही तेजाब तो दे, कुछ कहानी का अंत होता है अच्छा, कुछ अलायदा लिखी किताब तो दे, सहरा में प्यासा ही रह गया 'नीशीत', अब कोइ इस नाचीज को आब तो दे । नीशीत जोशी 16.06.12

बुला के मुजे

महेफिल में बुला के मुजे रुसवा न करो, दास्तां करा के याद कोइ सौदा न करो, लहू की स्याही से लीखे गये थे जो खत, उस कलम से अब कोइ शीकवा न करो, खुश रहेना अपनी तकदीर को संवारे यहां, मेरी किस्मत के अंधेरो में इजाफा न करो, आये जो तस्सवुरमें कभी तन्हाइके दौरमें, ठुकरा जो दिया है मूजे अब खोजा न करो, जीना था मुश्कील में मरना किया दुस्वार, चूरा के दिल को ऐसे उस पे कब्जा न करो । नीशीत जोशी 15.06.12

कैसी है तेरी माया

कैसी है तेरी माया, कहीं धुप कहीं छाया, इस दूनिया में कोइ गया तो कोइ आया, राहबर थक जाये हार जाये चलते चलते, उन सभी के सहारे वास्ते वृक्ष को उगाया, नफरत से इन्सान मर ना जाये कहीं यहां, इसीलीये हर दिल में मोहब्बत को जगाया, बुरे कर्मो पर जहन्नुम, अच्छे पर जन्नत, हर सजा और तौफे के वास्ते करम बनाया, कोइ भुल न जाये अपनी दौर-ए-जीन्दगी, याद दिलाने तूने खुद को मंदीर में सजाया । नीशीत जोशी 14.06.12

દિવાના કહ્યા મહેફિલે

દિવાના કહ્યા મહેફિલે હવે મુજ કામ નથી, થયા નારાજ હવે મુજ હાથે કોઇ જામ નથી, તેઓના અનુરાગે કર્યો હતો આતુર મુજને, હવે તો લાગણીઓના અહિં કોઇ દામ નથી, છો ને હજારો પ્રશ્નોના હવે ઉત્તર આપ્યા કરો, બદનામ થયા બાદ કોઇનુ એવુ નામ નથી, શક્તિ હતી ત્યાં સુધી કર્યા સહન એ ઘાવો, નાસૂરને સહેવા નબળા જીગરમાં હામ નથી, ખાસ વ્યક્તિઓને જ બોલાવો છો મહેફિલમા, લોકો કહે છે જગમાંના અમે કોઇ આમ નથી. નીશીત જોશી 13.06.12

देख

मस्तो की दुनिया में आ के तो देख, जरा खुदीको अपनी मीटा के तो देख, भुल जाओगे ये माया जग की सभी, जरा गीत खुद के भी गा के तो देख, बैठा है दिल के अंदर सब का प्रेमी, जरा सीरको अपने जुका के तो देख, लहरे भी बन जायेगी फिर किनारा, उन तूफां से जरा टकरा के तो देख, खुलेगें खजाने फिर आनंद का यहां, अपने में सब को रमा के तो देख । नीशीत जोशी 12.06.12

बडी आरजू थी मुलाकात की

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, तूम जब से यहां छोड गये हो प्रियतम, दिल को तूम से जोड गये हो प्रियतम, कहां दिन बीताया कहां रात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, किया है वादा फिर मीलने का, महकते फूलो सा खीलने का, मौसम ना दिखाओ बरसात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, ये नैया तेरी तू ही पार लगाना, हम नादानो को ना अब तरसाना, चले आओ, यह बात है जज्बात की, बडी आरजू थी मुलाकात की, नाम किया है महोब्बत में तूने, दिया है हमे ज्ञान इबादत में तूने, फिर क्यों तूने ये बिछात की, बडी आरजू थी मुलाकात की......... नीशीत जोशी 11.06.12

रहने दो अब

यह कैसे कैसे अल्फ़ाज़ लिख रहे हो? एक एक मतला पे क्या बिक रहे हो? अन्जुमन में चार चांद लग गये यूं तो, तरन्नुम में कोई ग़ज़ल सीख रहे हो? परिन्दा तो अपने नशेमन में है खुश, खुदके आशियाने में क्यों चीख रहे हो? अंदाज़ बयां करना बखूबी आ गया है, तस्सवुर में यूं खोये क्यों दिख रहे हो? लहू हाज़िर है हाथो में लगाने के वास्ते, रहने दो अब मेंहदी क्यों पीस रहे हो? नीशीत जोशी 10.06.12

રવિવાર, 10 જૂન, 2012

कहां होंगे

तूम यहां न होंगे तो कहां होंगे, जहां रहोगे तूम हम वहां होंगे, दुनीया के डर से छुप कर गये, खोज नीकालेगें तुम्हे जहां होंगे, दिवानगी की हद को भी तोडा, पागल से बदनाम जो यहां होंगे, हम न भुले तूम भी ना भुलना, अगर भुल गये तो जहांतहां होंगे, वादा था साथ देने का ये सफरमें, अब रोना सतायेगा तूम जहां होंगे । नीशीत जोशी 09.06.12

इश्क पे कहां अख्तीयार है तेरा ?

यह कैसा ऐतबार है तेरा ? यह कैसा इकरार है तेरा ? जवाब पे करते हो सवाल, यह कैसा इजहार है तेरा ? नबीसे भी नाराज होते हो, किस पे दारोमदार है तेरा ? जीन्दगी लिखली तेरे नाम, दिल क्यों शर्मोशार है तेरा ? जाना हसी के पीछे का राझ, इश्क पे कहां अख्तीयार है तेरा ? नीशीत जोशी 08.06.12

લોકોએ

એ હાથોમા પોતાના જ શરીર ઉપાડ્યા છે લોકોએ, એક ચહેરા પર કેટલા ચહેરા લગાડ્યા છે લોકોએ, આંખોમા છે મજબુરી, અને છે મુશ્કાન એ હોઠો પર, હ્રદય માહી કેટ કેટલાય દુઃખો છુપાડ્યા છે લોકોએ, આ જગમાં માણસોના હક ની વાતો અહીં કોણ કરે, કહેવા માટે તો આભ ના વજન ઉપાડ્યા છે લોકોએ, ગભરાયેલુ છે શહેર,'ને પક્ષીઓ પણ લાગે છે ડરેલા, એ હાલતથી નજરો છુપાવી મન સજાવ્યા છે લોકોએ, ગામડુ હોય કે હોય શહેર,'ને લોહીથી ડુબેલી છે નદી, સૌએ તો એક બીજા સામે શસ્ત્રો ઉગામ્યા છે લોકોએ, કંઇક તો કરો હવે કે જેથી થઇ જાય રોશની અહી પણ, ઘેટાઓ ની ભીડ ભાળી પોતા જેવા સમજ્યા છે લોકોએ નીશીત જોશી 07.06.12

तेरे लिये

एक तू, क्या क्या किया तेरे लिये, पर एक तू, घर पे सब को छोड, पनघट पे आयी दौड, तेरे लिये, कालीन्दी को पुछा, कदम के पैड तले देखा, डालीयो में झांका, तेरे लिये, पर तू कहां छुपा, चले आओ, अब न तरसाओ, दिदार करवाओ, बंसी बजाओ, मोरे कान्हा तेरे लिये सब कुछ करु, तू कहे तो हर जनम तेरे वास्ते भरु । नीशीत जोशी 06.06.12

तुम्हारी मरजी

अब तूम आओ या न आओ तुम्हारी मरजी ! पुकार के बावजूद चले जाओ तुम्हारी मरजी !! हर शाक पे नया आसीयाना बनाया है तूमने ! थक के खुद का पहेचान पाओ तुम्हारी मरजी !! प्यार का दरीया तूजे भेजा था डुबने के वास्ते ! तूम कतरा कतरासे ही नहाओ तुम्हारी मरजी !! घनेघोर अंधेरे में तीर चला के नदारत हो गये ! और उससे खुद ही चोट खाओ तुम्हारी मरजी !! यूं तो हर शक्स के पास होता है एक ही दिल ! तूम रोज रोज नया दिल लाओ तुम्हारी मरजी !! नीशीत जोशी 05.06.12

फिर क्या होगा

कब तक चूप रहोगे, कभी तो कुछ कहोगे, संसार का तानाबाना, धुपछाव को भी सहोगे, छोडो दो गर मोहमाया, नीर्मल नदी सा बहोगे, गुमान में न रहा करो, गुस्सेसे खुद ही जलोगे, जन्म लिया कुछ करलो, फिर क्या होगा जब मरोगे । नीशीत जोशी 04.06.12

પ્રેમ ની વાતો

પ્રેમ ની વાતો થતા તેઓ મલકાય છે, નયનોના જામ જાણે ખુબ છલકાય છે, પીવડાવતા શરમે બંધ થાય છે આંખો, પ્યાલા પણ પ્યાલાની સંગ ભટકાય છે, દરવાજા પણ પ્રમાણ આપે રહીને ઉભા, બંધ કરવા જતા તે પણ હવે અટકાય છે, વાતો થી છટકી જવાના શોધે છે બહાના, પણ એ પ્રેમમા કોનાથી સહજ છટકાય છે, આમ તો ઘણા નાચ નચવી દેખાડે પ્રેમ, પણ શ્યામ વીના રાધાથી ક્યાં મટકાય છે, પ્રેમ પણ ક્યારેક બની જાય છે એક સજા, અને તેમાં સપના પણ સુળીએ લટકાય છે. નીશીત જોશી 03.06.12

कब तलक

कब तलक आंखो से आंसू बहाओगी तूम, कब तलक दिल को यूहीं तरसाओगी तूम, याद अगर आये तो मुश्कुरा भी सकती हो, कब तलक वो सपनो को समजाओगी तूम, रही हो सकती है उनकी कोई मजबूरी भी, कब तलक रूठ रूठ कर मनवाओगी तूम, दीया भी तो नही रह सकता बाती के बेगैर कब तलक उनके दिल को तडपाओगी तूम, इजहार कभी तो सामने आ के रहेगा जरूर, कब तलक खुद के जज्बात छुपाओगी तूम । नीशीत जोशी 02.06.12