રવિવાર, 19 ઑગસ્ટ, 2012
"शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ***चन्द्रमा/चन्द्र/चंदा/चाँद/महताब/माहताब/*** पर मेरी कोशिश..."
"शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ***चन्द्रमा/चन्द्र/चंदा/चाँद/महताब/माहताब/*** पर मेरी कोशिश..."
कहते है उस चाँद में भी दाग है,
पर जान लो उस में भी आग है,
चमकता है फिर जाता है छुप,
चांदनी संग प्रेम का ही भाग है,
मशहूर होता है सितारों के संग,
वो चाँद वास्ते तारो का बाग़ है,
खामोश निगाह से निहारे चांदनी,
मौन चाँद का अलायदा राग है,
मौसम चाँद के भी तो होते होगे,
बारिश शायद चाँद के लिए फाग है |
नीशीत जोशी 15.08.12
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