રવિવાર, 19 ઑગસ્ટ, 2012
अखबार
दर्द का अखबार में विस्तार होता है,
सुबह पूरा ये शहर अखबार होता है,
पन्ने को पलटते है सुबह अखबार के,
वो सारा दिन अपना जोरदार होता है,
हो अफवा या सच्ची कोई बात मगर,
पढ़नेवाला तो पढ़ के मजेदार होता है,
पसंदीदा समाचार पढ़ के अखबार में,
शौखिनो का मिजाज शानदार होता है,
हिंसा बलात्कार अत्याचार के किस्से,
एक बार नहीं,लिखा कई बार होता है !
नीशीत जोशी 18.08.12
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