રવિવાર, 12 ઑગસ્ટ, 2012
ॐ नमः शिवाय
मेरे बाबा की महिमा अपरम्पार है,
सारे जग के वही एक पालनहार है,
नहीं है कोई आलिशान महल पास,
कैलाश में ही उनका बस संसार है,
भंग धतूरा खा के रहे वोह मस्तीमें,
नहीं लगता गंगाका माथे पे भार है,
भस्म का कर के लेप बने सुन्दरम,
ना हाथी ना धोड़ा, नंदी ही सवार है,
दूध चडाओ चाहे चडालो उन पे दही,
भक्तोकी तो उन पे जलकी ही घार है,
भक्तोके वास्ते वो भोला है भंडारी भी ,
जग में ॐ नमः शिवाय ही पुकार है !
नीशीत जोशी 06.08.12
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