રવિવાર, 26 ઑગસ્ટ, 2012
बड़ी गुस्ताख है तेरी यादे
तस्सवुर में हरदम तेरी तस्वीर उभर जाती है,
धड़कन तेरे नाम बगैर आने से मुकर जाती है,
बड़ी गुस्ताख है तेरी यादे इसे तमीज सिखा दो,
दस्तक भी नहीं देती और दिल में उतर जाती है,
सारा दिन दीवाना बेचैन बना के रखती है मुझे,
सारी सारी रात तेरी ही यादो में गुजर जाती है,
उतर आये परहेज नहीं इस तड़पते दिल को कोई,
हसीन यादो के सहारे ही मेरी बची उमर जाती है,
याद के आने से कलम भी दिखाती है हुन्नर कोई,
यादो में लिखी हर गलत ग़ज़ल भी सुधर जाती है |
नीशीत जोशी 25.08.12
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