રવિવાર, 26 ઑગસ્ટ, 2012
कुछ लिखा नही है
आज ये दिल अभी चिखा नही है,
बाज़ार में वो प्यार बिका नहीं है,
लिखने बैठे थे कागज़ ले कर हम,
कलम ने आज कुछ लिखा नही है,
अल्फाज उतर आयेंगे ऐसे तो यहाँ,
पर तेरा ख्वाब अभी दिखा नही है,
कैसे कहे हर चहेरा को नुरानी सा,
तेरे आगे कोई चहेरा टिका नहीं है,
यादो से परेशान है कलम भी आज,
जुस्तुजू बयाँ करना सिखा नहीं है,
नीशीत जोशी 21.08.12
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