રવિવાર, 26 ઑગસ્ટ, 2012
र्शीषक अभिव्यक्ति मेँ उनवान *** "जग/जगत/विश्व/दुनिया/संसार/जहान" पर मेरी कोशिश
र्शीषक अभिव्यक्ति मेँ उनवान *** "जग/जगत/विश्व/दुनिया/संसार/जहान" पर मेरी कोशिश
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है,
प्यार के बाजार में दिल भी जाए तो क्या है,
बहारो के मौसम में भी तो मुराजाते है फुल,
पतजड़में गर फुल खिल भी जाए तो क्या है,
मिलने पर अमावस्या भी लगे चाँदनी जैसी,
पूर्णिमाको गर चाँद हील भी जाए तो क्या है,
जहांवाले तो कहते ही रहेगे प्यार को गुनाह,
मगर टुटा दिल गर सील भी जाए तो क्या है,
इल्तजा है उनके मुह से इकरार सुन लेने की,
एकबार वोह अकेले मिल भी जाए तो क्या है !
नीशीत जोशी 22.08.12
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