શનિવાર, 28 ડિસેમ્બર, 2013
दोस्ती ना सही,दुश्मनी निभाने के लिए आ
दोस्ती ना सही,दुश्मनी निभाने के लिए आ,
मेरी नहीं,अपनी चाहत मिटाने के लिए आ,
जाना चाहो महेफिल से तो रोकेंगे नहीं अब,
तू चराग जलाने नहीं तो बुझाने के लिए आ,
सितमगर हो अपनी तासीर पे अमल करना,
सितम ढाने नहीं,फितरत दिखाने के लिए आ,
ख्वाब ही मांगे है हमारी तन्हाई ने रातो में,
फूलो पे ना सही,कांटो पे सुलाने के लिए आ,
जनाजे कि वो लाश से मुहब्बत नहीं,ना सही,
रोने को नही पर रवायत निभाने के लिए आ !!!!
नीशीत जोशी 26.12.13
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