શનિવાર, 14 ડિસેમ્બર, 2013

तुझे क्या दिखा था?

nj111213 मेरे उन अल्फ़ाझो में, तुझे क्या दिखा था? मैंने तो वही कहा है, जो दिल में छिपा था, तुम कहते हो, अब मै लगा हूँ शायरी करने, मैंने तो वही कहा था, जो तुझसे मिला था, मुझे नहीं आती, बहर में लिखने कि अदा, जज्बात बयां करना, सुखनवर से सिखा था, नहीं आती है नज्मे, न लिखते है हम गज़ले, मैंने तो फर्द पे, महबूब तेरा नाम लिखा था, जो था मुहब्बत का जझबा, है भी बरक़रार, ये मुझसे न छिपा है, ना ही तुझसे छिपा था !!!! नीशीत जोशी 11.12.13

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