શનિવાર, 7 ડિસેમ્બર, 2013

तन्हाई की रातो में

in breez bg watermark 2 तन्हाई की रातो में गर एक सहारा होता, चाँद होता और चांदनी का नजारा होता, दिल के जज्बात महफूझ रहते जिगर में, अल्फ़ाझो को सुखनवर ने खूब सवारा होता, आयने के टूटने का डर न होता किसीको, पत्थरो से कांच को ना कोई ख़सारा होता, उलझती रहती प्यार के नक़ाब में नफरते, मुहब्बत में रक़ीब भी शायद गवारा होता, जिसे लोग ठुकराते ग़नीम समझकर यहाँ, प्यार पा कर वोह हमनफ़स हमारा होता !!!! नीशीत जोशी 02.12.13

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