શનિવાર, 22 ઑગસ્ટ, 2015
मेरा बेहाल और है
ग़म की क्या मिसाल और है,
जो ना ग़ुज़रा,कमाल और है,
दिखता है चेहरा हँसता हुआ,
मगर दिल का हालचाल और है,
मेरे अंदर तलातुम है बहुत,
पर जुबानी भी सवाल और है,
साथ छोड़े है साया मेरा,
रास्ता भी कितना मुहाल और है,
इश्क़ में अंदाज़ तेरा देखकर,
सोचता हूँ तेरी एक चाल और है,
पूछते हो हाल क्या मेरा, जनाब,
ग़म सुना दिल मेरा बेहाल और है,
मिल रहा है सब से यूं, मगर,
अंदर से वो बेख़याल और है !!
नीशीत जोशी 11.08.15
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