
देखके आपको, आईना मगरूर हो गया,
चाँद भी, मुँह छुपाने को मजबूर हो गया,
रात वो आये थे ख्वाब में, बनके क़ासिद,
रुखसे पर्दा हटा, और वो मशहूर हो गया,
हो रहा था, महोबत का जिक्र चारसू ,
हर किस्सा आप ही, मजकूर हो गया,
प्यार पा के आपका, हो गये सब अज़ीज़,
देखके दिल-ए-रक़ीब भी मखमूर हो गया,
बेपर्दा देखके आपको, घायल हो गये सभी,
दीदार पाते ही, हर कोई मशकूर हो गया !!
नीशीत जोशी
(क़ासिद = खबर पहोचानेवाला,चारसू= चारो तरफ, मज़कूर = reported,मखमूर =नशे में चूर , मशकूर= आभारी) 20.08.15
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