શનિવાર, 8 ઑગસ્ટ, 2015
किसने जगा दिया है मुझे मेरे ख़्वाब से
अल्फ़ाज़ उड़ गए सभी मेरी किताब से ,
किसने जगा दिया है मुझे मेरे ख़्वाब से !
बोला अभी नहीं था मिरे वो मुहिब्ब को,
किसने बता दिया मुहब्बत के हिसाब से !
आते है वो तसव्वुरी खयालो में अक्सर,
किसको कहें हम बचाये इश्क़ के ताब से !
पड़ते नहीं निशाँ कफ-ए-नाज़ुक के यहाँ,
रखते है क़दम है जो पाँव उनके गुलाब से !
शाहिद ने किया था शुरू राज़-ओ-नियाज़,
किसीके रश्क ने जगा दिया मुझे ख्वाब से !
नीशीत जोशी
(ताब=power, कफ-ए-नाज़ुक= foot of beloved, शाहिद= a sweetheart ,
राज़-ओ-नियाज़ = intimate conversation between the lover and beloved )20.07.15
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