શનિવાર, 8 ઑગસ્ટ, 2015
यहाँ लोग, सिर्फ चहरे की, सबाहत जानते है
हम तेरी मुहब्बत की, सदाकत जानते है,
लड़ लोगे तुम जहाँ से, जसारत जानते है,
दिलवाले करते है बहुत, इश्क़ कायनात में,
पाएंगे वही, जो दुनिया की रक़ाबत जानते है,
यहां के लोग करेंगे, इश्क़ के चर्चे चारसु,
मुख्तार वही होंगे, जो बगावत जानते है,
रफ्ता रफ्ता ही, इश्क़ सर चढ़ के बोलेगा,
मुश्किल है उनको, जो सिर्फ तिजारत जानते है,
होनी चाहिए, दिल से मुहब्बत, दिल की,
यहाँ लोग, सिर्फ चहरे की, सबाहत जानते है,
रक़ीब भी बन जाते है, दोस्त मोहब्बत से,
हम परस्तार है, इश्क़ की इबादत जानते है !!
नीशीत जोशी
(सदाकत=सच्चाई, जसारत=हिम्मत, रक़ाबत=शत्रुता, चारसु=चारों तरफ़, मुख्तार=आज़ाद,
बगावत=विद्रोह, तिजारत=व्यापार, सबाहत=खूबसूरती, परस्तार=पूजनेवाला) 01.08.15
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