રવિવાર, 27 ફેબ્રુઆરી, 2011

मेरे जज्बात.....


किस किस से मै आखे चुराउ,
मनकी चंचलता किसे सुनाउ,

बंसीधुन सुनके रहा ना जाए,
घरवालोको छोड दौडी आउं,

थाम जब लेते मेरी ये बैया,
छुइमुयी जैसी मै तो शरमाउ,

बाहो मे भर लेते हो जब मुजे,
मन कह देता मै काहे छुडाउ,

आगमन से खील जाय फुल,
जाने के वियोगमे मै मुरजाउ,

बदनाम किया अब करम कर,
दे जगह चरणोमे मै शरण पाउ,

युं शरणार्थी को दे देना पनाह,
करते हुए तेरी सेवा मै मोक्ष पाउ ।

नीशीत जोशी

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