आज फिर वही दिन आया है,
मेरा साया साथ छोड आया है,
गुजर गये वोह गली से लेकिन,
निकलनेके बाद ख्याल आया है,
गुजारिस थी एकबार मुड जाना,
मुडना छोड रास्ता छोड आया है,
इश्क मे डुबने का मजा लेते हो,
उसी इश्कका ईम्तिहान आया है,
महेफिल रोनक की आनेवाले थे,
अब तो चिराग भी बुजने आया है ।
नीशीत जोशी
બુધવાર, 2 ફેબ્રુઆરી, 2011
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો