બુધવાર, 2 ફેબ્રુઆરી, 2011
जबसे तुम्हे देखा है
मेरी जुस्तजु और भी बढ गयी है जबसे तुम्हे देखा है,
दिलका हर जज्बा तेरा उठता है जबसे तुम्हे देखा है,
मेरे घर की रोशनी बन जाओ यह ख्वाइश है रखी,
आसमां से चांद भी नादारत हुआ जबसे तुम्हे देखा है,
बागो मे आ जाती है बहार चाहे हो पतजड मौसम,
मुरजाये हुए फुल भी खीलने लगे जबसे तुम्हे देखा है,
मुद्दत से दिल दे बैठे थे जान कर हर कठीन प्रेमराह,
हर पथ्थर मखमलसे लगने लगे जबसे तुम्हे देखा है,
जानते है मिलन राह भी नही है उतनी आसान,
दिलमें मिलन-आश जगा रखी है जबसे तुम्हे देखा है,
तेरा ही नाम दिल को शकुन मोहाया करता रहता,
रुह को तेरा ही नाम रास आया है जबसे तुम्हे देखा है ।
नीशीत जोशी
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