फुल खील के मुरजा गये यह बागबानका दोष था,
दर्द को खरोच कर नासुर बनाया दिलका दोष था,
महोब्बत तो पहेलेभी थी आज भी है उनसे हमे,
नही करते है याद यह तो खुदके प्यारका दोष था,
दिलके कुचे कुचे मे रखी है सय उनकी याद मे,
हर सयमे तु नजर आये यह जजबातोका दोष था,
नर्म थी आंखे बरसते रह गये वोह मोती कैसे,
आंखो से हुई बरसात यह उठे बादलो का दोष था ।
नीशीत जोशी
બુધવાર, 2 ફેબ્રુઆરી, 2011
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