किसी ज्योतीषीने कहा यह साल अच्छा है,
दिलको खुश रखनेका यह खयाल अच्छा है,
हाथ की लकिरोमें नही है जीवनभरका साथ,
दिलमें हरपल संग रहनेका खयाल अच्छा है,
खुश्बु आती है फिजाओमें फुल-ए-गुलाबकी,
महक बन उड जानेका यह खयाल अच्छा है,
अंम्बर भी रोता है सावनमें धराके प्यार में,
आंखोकी बरसातमें नहानेका खयाल अच्छा है,
सुकुन मीलता है रुहको मीलनके उस पलमें,
दिलको यादोसे सहलाने का खयाल अच्छा है,
मान जाने का वादा करके रुठना है फितरत,
रुठे हुएको मना लेने का यह खयाल अच्छा है,
कोइ तबीब दवा दे न सके लगा है ऐसा रोग,
हर घावको नासुर बना देनेका खयाल अच्छा है,
प्यार-ए-गुफ्तगु करना भी उसे रास ना आया,
मौन रहकर भी प्यार करनेका खयाल अच्छा है,
खतम हो जब सांसे,पहोच जाये कब्र पर 'नीशीत',
दुपट्टाका कफन औढ सो जानेका खयाल अच्छा है ।
नीशीत जोशी 27.04.11
શનિવાર, 14 મે, 2011
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