दास्तां कहते गये कतरा कतरा,
सीतम सहते गये कतरा कतरा,
महेफिले रोशन थी आने से,
चीराग बुज गये कतरा कतरा,
कुछ कमी न थी शानेसौकतमे,
मनसुबे ढह गये कतरा कतरा,
वादे पे उनके नाज था जीसको,
कफन औढ सो गये कतरा कतरा,
मुश्कीलसे सजाया आंखोमे उसे,
आंसु बन बह गये कतरा कतरा,
गुनाह किया था चाहने का उससे,
सजा भोगते ही गये कतरा कतरा,
दस्तुर था नीशीत भुल जानेका उसका,
पर यादोमें सताते गये कतरा कतरा ।
नीशीत जोशी 01.05.11
શનિવાર, 14 મે, 2011
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