શનિવાર, 21 મે, 2011
छोड दो
ये मेरे दिल को जरा जोड दो,
या मेरा बेहाल कहेना छोड दो,
गुजारीश की न माने मिलनेको,
उनका ईन्तजार करना छोड दो,
नासुर बन गये हर घाव अपने,
अब तो मल्हम लगाना छोड दो,
शिशा था तुटना भी लाजमी था,
इस खेलमें आंसु बहाना छोड दो,
दिलके कुचेमें रहके तजुर्बा पाया,
कांटो पर घरोंदा बनाना छोड दो,
महक न पाये खील के बागो मे,
कागजी फुलो को सजाना छोड दो,
गरीबखाना भी सुमसान हो पडा,
कह दीया तस्वीर लगाना छोड दो,
न कोई सिकवा है ना कोई गिला,
जहांवालोसे फरियाद करना छोड दो,
कविता करो या मत्ला पढो नीशीत,
बेवफाओ पे कुछभी लिखना छोड दो,
दरिन्दे न बदले है न बदल पाएगे,
अब उनके लिये दिलको दुखाना छोड दो |
नीशीत जोशी 17.05.11
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